कर दिया तुमने शंखनाद और जयघोष
और ललकार भी दिया है तुमने
हे शकुनी और दुर्योधन
इस बार ध्रितराष्ट्र की आंख भी तो है खुली
हमें तो है सदियों से महाभारत का अभ्यास
प्रार्थना कर की रामायण मेरे हाथ से फिसल न जाए
तांडव मेरा थामे नहीं थमेगा किसीसे
जो माथे का तिलक तीसरा नेत्र बन गया
तेरे द्रोन के पास तो आंख भी एक कम है
तेरी कब्र शायद देख भी न पाए फातिहा पढने को
दैनिक भास्कर | 25 जुलाई 2019
कुछ दिनों पहले रविवार की रात एक टीवी शो
में एंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 5
लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के लक्ष्य का तिरस्...
5 years ago
No comments:
Post a Comment